WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Diwali in 2022: दिवाली का शुभ त्योहार कब है और क्या है पूजन विधि, शुभ मुहर्त, जानिए पूरी जानकारी

Diwali in 2022: दिवाली का शुभ त्योहार कब है और क्या है पूजन विधि, शुभ मुहर्त, जानिए पूरी जानकारी

कब है दीपावली का शुभ त्योहार और क्या है पूजन विधि

Diwali in 2022: आज हम आपको दीपावली त्योहार के बारे में बताने जा रहे है। दोस्तों दिवाली का त्योहार हमारे लिए बहुत ही खास त्योहार है, दिवाली का त्योहार हमारे हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, हम इस त्योहार का महीनों पहले से इंतजार करते हैं और दिवाली के दौरान अपने घरों को माता लक्ष्मी और गणेश से सजाते हैं। और कुबेर के आगमन की तैयारी करते है । दिवाली का त्योहार पांच दिनों का होता है जो धनतेरस से शुरू होता है और फिर नरक चतुर्दशी जिसे हम छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं, उसके बाद दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर पांचवें दिन भाई दूज का त्योहार होता है जिसके साथ दिवाली का त्योहार समाप्त होता है।

 

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त:Diwali in 2022

  1. लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :18:54:52 से 20:16:07
  2. अवधि: 1 घंटा 21 मिनट
  3. प्रदोष काल :17:43:11 से 20:16:07
  4. वृष अवधि :18:54:52 से 20:50:43

दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त:Diwali in 2022

  1. लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :23:40:02 से 24:31:00
  2. अवधि: 0 घंटे 50 मिनट
  3. महानिशिथ समय :23:40:02 से 24:31:00
  4. सिंह समय :25:26:25 से 27:44:05

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त:Diwali in 2022

  1. शाम का मुहूर्त (अमृत, चल): 17:29:35 से 19:18:46
  2. रात्री मुहूर्त (शुभ, अमृत, दौड़): 25:41:06 से 30:27:51 तक
  3. रात्री मुहूर्त (लाभ): 22:29:56 से 24:05:31

 

दिवाली पूजन विधि:Diwali in 2022

सबसे पहले उत्तर पूर्व या उत्तर दिशा में सफाई कर स्वास्तिक बनाएं। अब यहां एक कटोरी चावल रख दें। लकड़ी की पाट में लाल कपड़ा रखें और उस पर लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र रखें। ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी के चित्र में गणेश जी और कुबेर जी का भी चित्र हो, सभी मूर्तियों या चित्रों पर जल छिड़क कर उनका अभिषेक करें। अब कुश आसन पर बैठकर वस्त्र, आभूषण, गंध, फूल, धूप, दीपक, अक्षत और अंत में देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी को दक्षिणा अर्पित करें, देवी सहित सभी देवताओं के सिर पर हल्दी, रोली और चावल लगाएं।  पूजा के बाद भोग या प्रसाद चढ़ाएं, अंत में खड़े होकर देवताओं की आरती करें। आरती करने के बाद उस पर जल छिड़कें, पूजा के बाद आंगन और घर के मुख्य द्वार पर दीये जलाएं। यम के नाम का दीपक भी जलाना चाहिए। पूजा और आरती के बाद ही किसी से मिलने जाएं, यदि आप घर में कोई विशेष पूजा कर रहे हैं तो स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका की भी पूजा की जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top